भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देती और उपचुनावों में तमाम सीटें हारती गयी। पंजाब, राजस्थान, जम्मू, मध्यप्रदेश और पश्चिम बंगाल में सम्पन्न उपचुनावों में भाजपा को करारी शिकस्त मिली है।
पश्चिम बंगाल की सीट तृणमूल कांग्रेस के खाते में गयी, जबकि जम्मू-कश्मीर की सीट कांग्रेस समर्थित अब्दुला के खाते में गई। मध्यप्रदेश की एक,, राजस्थान की दो और पंजाब की एक संसदीय सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली। अभी कुछ सीटों पर चुनाव बाकी है, लेकिन भाजपा का 282 से घटकर 275 पर आ गयी है और कांग्रेस 44 से बढ़कर 48 का आकड़ा पा चुकी है। उपचुनावों में भाजपा की लगातार हार से पूरे देश मे एक साथ चुनाव के मसले पर भाजपा के अंदर मंथन चल रहा है।
विपक्ष लोकसभा चुनाव की तारीख को लेकर असमंजस में है। राजनीतिक गलियारों में संसदीय चुनाव के समय को लेकर तीन तरह की अटकलों का बाजार है। कुछ लोग कर्नाटक चुनाव के साथ ही लोकसभा चुनाव की संभावना जता रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि नवंबर में मध्य्प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनावों के साथ ही लोकसभा चुनाव कराने का एलान होगा। नियत समय पर चुनाव की संभावना देखनेवाले लोगों की भी कमी नहीं है। लेकिन लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा और विपक्ष दोनों असमंजस में हैं। भाजपा एक साथ चुनाव कराने पर भाजपा शासित प्रदेशों में प्रदेश सरकारों के खिलाफ कायम सत्ता विरोधी लहर का असर संसदीय चुनाव पर भी देखती है। लेकिन यदि नवंबर में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के प्रादेशिक चुनाव में भाजपा का परफॉरमेंस खराब रहा तो इसका सीधा असर संसदीय चुनाव पर पड़ेगा और विपक्ष आक्रमक मूड में दिखेगा।