अपनी नीतियों से कितनी हिल गई भाजपा। चाणक्य की तुलना अमित शाह से करनेवालों को चाणक्य पर गंभीर अध्ययन की जरूरत है। प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत भूमिका ने फडणवीस को दूसरी बार मुख्यमंत्री बनाया वरना अमित शाह के चहेते तो चंद्रकांत पटेल थे। वाजपेयी ने सत्तालोलुपता के जिस निर्णय के लिए शरद को लोकसभा में लताड़ लगाई थी, आज शरद के उसी निर्णय की पुनरावृत्ति को नमो-शाह ने गले लगाया। अपनी नीतियों से कितनी हिल गई भाजपा।
दरअसल नमो किसी भी कीमत पर महाराष्ट्र की सत्ता नहीं छोड़ना चाहते, क्योकि सियासत को चलाने की सबसे बड़ी व्यापारिक नगरी मुम्बई है। मुंबई में सीएम की कुर्सी संभालने वाला दिल्ली में प्रधानमंत्री की कुर्सी हिला सकता है। इसलिए नितीन गडकरी को भी नमो-शाह की जोड़ी महाराष्ट्र का बागडोर नहीं देना चाहती। फडणवीस नमो के चहेते हैं और अनुगामी व भरोसेमंद भी, लेकिन गडकरी तो महत्वाकांक्षी और रणनीतिज्ञ हैं।
सदन में अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि शरद पवार ने सत्ता के लिए जिस तरह से दलबदल किया, वैसी सत्ता को वह चिमटे से भी छूना पसंद नहीं करेंगे। भजन लाल की सत्ता के लिए दलबदल की घटना के बाद वाजपेयी, आडवाणी और जोशी ने राजनीति में आदर्शों और नैतिक मूल्यों की रक्षा के लिए भाजपा की स्थापना की थी। इसका उद्देश्य सत्ता के लिए दलबदल की बढ़ती प्रवृति को रोकना था। आज भाजपा दलबदल की मुख्य धुरी है। उसे अब जिताऊ नहीं बल्कि किसी भी दल के विजित प्रतिनिधियों को तोड़ने में महारत हासिल है। नैतिकता पर सवाल का दोटूक जबाब है। फलां दल ने ऐसा किया था तो आप कहाँ थे। फलां के खिलाफ भी ताकत हो तो लिखिए। अर्थात मुद्दों को भटकाना निरुत्तर राजनीति की ताकत है।
दरअसल राजनीति में गिरते आदर्शों, नैतिक मूल्यों और विचारों की सुरक्षा के लिए भाजपा की स्थापना हुई थी। यह भाजपा का संविधान है। ….लेकिन आज मूल्यों से खुद हिल गई भाजपा। फिर अन्य पार्टियों की पतित नैतिकता के उदाहरणों से भाजपा के मूल्यों के ह्रास को उचित ठहराने की विधा कारगर नहीं हो सकती। थोथी दलील का कोई जबाब नहीं, अज्ञानता पर बहस का कोई परिणाम नहीं।
दरअसल निरुत्तर राजनीति अनर्गल प्रलापों और धमकी भरे लहजों की रखैल है। लोग खरीद-फरोख्त को जायज ठहराते शर्मिंदा नहीं होते। यह लोकतंत्र, नैतिकता, विचार, सिद्धांत और आदर्शों के सम्पूर्ण सफाये का दौर है। अराजकता की पराकाष्ठा है। हमाम में तमाम नङ्गे हैं। लालू शैली के कई उपासक हैं। निःसंदेह अपनी नीतियों से हिल गई भाजपा।